कलमा ए कुफ्र भूल कर कहने से?
सवाल → क्या भूल कर कलिमा ए कुफ्र कह देने
से किया आदमी काफिर हो जाता है
जवाब→ कलमा ए कुफ्र भूल कर कहने से इंसान काफिर नहीं होता है लेकिन भूल से मुराद ये है के इरादा नही था ऐसा कुछ कहने का , कहना कुछ और चाह रहा था , निकल कुछ और गया तो ये कुफ्र नही है
(Fatawe Markaze Tarbiyat E Ifta: Jild 2 / Safha 53)
Masla
मस'अला →. नमाज़ में सलाम फेरते वक्त लफ्ज़ Assalamu दो बार ( कहना वाजिब है ) और
लफ़्ज़ Alaikum (Wa Rahmatullah Kehna) वाजिब नहीं ( सुन्नत है ) और वित्र की नमाज़ में दुआ ए कुनूट पड़ना और दुआ ए कुनूत पढ़ने से पहले तकबीर कहना वाजिब है भूले से इसमें से
कोई चीज़ छोड़ा तो सजदे साहू से नमाज़ हो
जायेगी और कसदन ( यानी जान बूझ कर ) छोड़ा तो नहीं होगी।
▪️(Bahar e Shari'at Jild 1 Hissa 3.)
