अल्लामा तहसीन रज़ा की कितनी ऊंची शान है
खिदमते दीने हक की खातिर दे दी जिसने जान है मज़हरे मुफ़्तीए अज़म पे हर सुन्नी कुरबान है
अल्लामा तहसीन रज़ा की कितनी ऊंची शान है
दर्से हदीस व कुराआँ में गुज़रा है हर लम्हा उनका
महफिले अहले इल्म व अदब में होता है चर्चा उनका
रब ने शहादत देके उनकी और बढ़ा दी शान है
अल्लामा तहसीन रज़ा की कितनी ऊंची शान है
मुफ्तीए आज़म कुर्रतु ऐनी दुर्रतु जैनी फ़रमायें
अपना अमामा और हुब्बा खुद उर्स रज़ा में पहनायें उनकी अज़मत और रिफ़अत की यह भी एक पहचान है
अल्लामा तहसीन रज़ा की कितनी ऊंची शान है
पहले ही से उनका घराना किस दर्जा बा अजमत है मुफ़्तीए आज़म है कोई और कोई आला हजरत है
और कोई उस्ताजे ज़मन तूतई हिंदुस्तानी है
अल्लामा तहसीन रज़ा की कितनी ऊंची शान है
उनके मनाकिब पर कुछ कहना मेरे बस की बात कहां बज्मे अदब में लब में खोलूँ मेरी यह औकात कहां
सब कुछ यह फारूक रजवी मुरशिद का फैजान है अल्लामा तहसीन रज़ा की कितनी ऊंची शान है