ऐ खुदा वन्दे जहां ऐ खालिके लैलो नहार |
हो नहीं सकती तेरी हम्द व सना है बेशुमार
तू दो आलम का हकीकी मालिक व मुख्तार है
ज़र्रे ज़र्रे पे तेरा चलता है हुक्म व इक्तदार
तूने बख़्शी है फलक के चांद तारों को चमक
तेरी कुदरत से गुल व गुन्चा पे आता है निखार
रहमते आलम के दामाने करम का वास्ता
बख़्श दे मेरे गुनाहों को हूं नादिम व शर्मसार
खोल दे मेरी दुआओं के लिए बाबे कुबूल
अर्ज़ करता हूं तेरे आगे ब चश्मे अश्कबार
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