आदम से लेकर ईसा तक जितने अंबिया हैं
और मुस्तफा के जितने याराने बासफा हैं
हैं जानो दिल से सब की अज़मत पे मिटने वाले
हम हैं बरैली वाले हम हैं बरैली वाले
गौस व मदार व ख़्वाजा शाह जी व आला हजरत मखदूमे कलयरी हों या कि हों शाहे बरकत
हैं हर वली की दिल से ताज़ीम करने वाले
हम हैं बरैली वाले हम हैं बरैली वाले
मीलाद फातेहा भी हैं अच्छे काम सारे
करते रहें हैं जिनको अस्लाफ भी हमारे
लेकिन नमाज़ को सब अफज़ल समझने वाले
हम हैं बरैली वाले हम हैं बरैली वाले
तलवारे हैदरी का था अक्स फिल हक़ीक़त
मशहूर है जहां में जो किलके आला हज़रत
आदाए मुस्तफा के दिल जिसने चीर डाले
हम हैं बरैली वाले हम हैं बरैली वाले
वह शेर बेशए अहले सुन्नत था नाम जिनका हशमत
करते हैं नाज़ जिन पर सब अब भी अहले सुन्नत
डाले हैं नजदियत के मुंह में जिन्होंने ताले
हम हैं बरैली वाले हम हैं बरैली वाले
नदवा भोपाल व दिल्ली और सारे देवबंदी
दरभंगा और बनारस के जितने भी हैं नजदी
यह बार बार के हैं सब अपने देखे भाले
हम हैं बरैली वाले हम हैं बरैली वाले
शायर: ( फारूक ) Auther - इश्क के रंग ( Book)