शरीअ़ते इस्लामिय्या में औ़रत के पर्दे का मक़्स़द?
इस्लाम में औरत के लिए पर्दा क्यों?
पर्दा कैसा होना चाहिए?
LASHKAR E RAZA
नक़्शो निगार वाले बुर्के पहेन्ना कैसा?
Fashion वाला बुर्का?
शरीअ़ते इस्लामिय्या में औ़रत के पर्दे का मक़्स़द ये है के फ़ितना व फ़साद का दरवाज़ा बंद हो जाए, ताकि किसी बद निय्यत इंसान को, किसी मुसलमान पाक दामन ख़ातून की आबरू रेज़ी का मौक़अ़् न मिले, और मुआ़शरा अमनो सलामती की ज़िंदगी बसर कर सके एक औ़रत के लिए बुर्क़ए़ की ये शराइत़ होनी चाहिए वर्ना मक़्स़द ह़ासिल नहीं होगा*
*1 बुर्क़ए़ का कपड़ा इतना मोटा हो के उसके नीचे से औ़रत की ज़ीनत का लिबास न झलके, लिहाज़ा बारीक शफ़्फ़ाफ़ कपड़े का बुर्क़आ़ बनाने से मक़्सद ह़ासिल नहीं होगा*
*2 नीज़ वो बुर्क़आ़ इतना तंग न हो के जिस्म के साथ चिपक जाए, बल्कि खुला हो और बड़ा हो, और न ही इसमें जिस्म के साथ चिपटने की ख़ासियत हो*
*3 और ये के बुर्क़आ़ सिर्फ़ आगे की त़रफ़ खुला हो, ताकि ओढ़ने में आसानी हो, फैशनी बुर्क़ओ़ं की त़रह़ आगे पीछे से खुला हुआ न हो*
*4 इसी त़रह़ उसकी आस्तीन भी तंग हो, ताकि ख़ुद बख़ुद ऊपर को न चढ़े, या फिर सारे बटन लगाए जाएं*
*5 और इसी त़रह़ पर्दे का बुर्क़आ़ फूल दार या डिज़ाइन वाला न हो के लोगों की नज़र उसकी त़रफ़ मुतवज्जह हो, जैसा के कशीदा-कारी वाला होता है*
*6 ये बुर्क़आ़ इतना लंबा हो के सर से लेकर पाँव के ज़ाहिरी ह़िस्से तक को छुपाले*
*इमाम अह़मद बिन मुह़म्मद अल् सावी अल् मालिकी رحمت اللہ علیہ फ़रमाते हैं*
*وامالآن فالواجب على الحرة الستر بثياب غير مزينة خوف الفتنة*
*फ़ितने के अंदेशे की वजह से औ़रतों पर वाजिब है के वो मुज़य्यन और नक़्शो निगार वाले बुर्क़ओ़ं की बजाए, सादा बुर्क़आ़ पहनकर अजनबी मर्दों से पर्दा करके बाहर निकलें.!*
📕(भड़कीले बुर्क़ए़ सफ़ह़ा 50)
FAQ
इस्लाम में औरत के लिए पर्दा क्यों?
शरीअ़ते इस्लामिय्या में औ़रत के पर्दे का मक़्स़द ये है के फ़ितना व फ़साद का दरवाज़ा बंद हो जाए,
पर्दा कैसा होना चाहिए?
बुर्क़ए़ का कपड़ा इतना मोटा हो के उसके नीचे से औ़रत की ज़ीनत का लिबास न झलके
LASHKAR E RAZA
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नक़्शो निगार वाले बुर्के पहेन्ना कैसा?
और इसी त़रह़ पर्दे का बुर्क़आ़ फूल दार या डिज़ाइन वाला न हो के लोगों की नज़र उसकी त़रफ़ मुतवज्जह हो, जैसा के कशीदा-कारी वाला होता है*
Fashion वाला बुर्का?
फ़ितने के अंदेशे की वजह से औ़रतों पर वाजिब है के वो मुज़य्यन और नक़्शो निगार वाले बुर्क़ओ़ं की बजाए, सादा बुर्क़आ़ पहनकर अजनबी मर्दों से पर्दा करके बाहर निकलें.!*