फर्ज़, वाजिब,सुन्नते मुअ़क्किदा,मुस्तहब,ह़राम, मकरूहे तह़रीमी किसे कहते हैं | LASHKAR E RAZA

0

 

फर्ज़ वाजिब 


फर्ज़, वाजिब,सुन्नते मुअ़क्किदा,मुस्तहब,ह़राम, मकरूहे तह़रीमी  किसे कहते हैं 



                         بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

फर्ज़ :

फर्ज़ उसे कहते हैं जो दलीले क़तई से साबित हो यानी ऐसी दलील जिस में कोई शुब्हा ना हो। फर्ज़ को अदा करना बहुत ज़रूरी है, इस को तर्क करने वाला सख्त गुनाहगार और अ़ज़ाबे जहन्नम का मुस्तहिक़ है और जो इसका इन्कार करे वो काफ़िर है।


वाजिब :

वाजिब उसे कहते हैं जो दलीले ज़न्नी से साबित हो, इस का अदा करना भी ज़रूरी है और जो तर्क करे गुनाहगार है, इस का इन्कार करने वाला गुमराह है।


सुन्नते मुअ़क्किदा :

जो काम हुज़ूर ﷺ ने हमेशा किया हो, अलबत्ता बयाने जवाज़ के लिये कभी तर्क भी किया हो, उसे सुन्नते मुअ़क्किदा कहते हैं।

इस का अदा करना ज़रूरी है और कभी कभार छोड़ने वाले पर इताब और आ़दतन छोड़ना इस्तिहक़ाक़े अ़ज़ाब है।


सुन्नते गैरे मुअ़क्किदा :

वो जो शरीअ़त की नज़र में पसंदीदा हो लेकिन इसके छोड़ने पर कोई वई़द भी नहीं। इस का करना सवाब लेकिन छोड़ने वाला गुनाहगार नहीं अगर्चे आ़दतन हो, हाँ इस का तर्क शरीअ़त को ना पसंद है।


मुस्तहब :

वो जो शरीअ़त की नज़र में पसंदीदा हो लेकिन इसे छोड़ना नापसंद भी ना हो। अगर्चे हुज़ूर ﷺ ने किया हो या तरगीब दी हो या उ़लमा ने पसंद किया हो अगर्चे अहा़दीस में ज़िक्र ना हो, इस का करना सवाब है और ना करने पर मुत्लक़न कोई हुक्म नहीं।


मुबाह

जिस का करना या ना करना एक जैसा हो यानी ना सवाब ना गुनाह।

  


ह़राम :

इस का एक बार भी करना गुनाहे कबीरा है, ये फर्ज़ के मुक़ाबिल है यानी जो फर्ज़ है उसे तर्क करना ह़राम और जो ह़राम है उस से बचना फर्ज़ है।


मकरूहे तह़रीमी :

ये वाजिब के मुक़ाबिल है, इस का करने वाला भी गुनाहगार है, इस का गुनाह ह़राम से कम है लेकिन चंद बार इस का करना गुनाहे कबीरा है।


इसा'अ़त :

ये सुन्नते मुअ़क्कदा के मुक़ाबिल है, इस का करना सबबे इताब है यानी अल्लाह तआ़ला और उस के रसूल की नाराज़ी और आ़दतन करने पर अ़ज़ाब।


मकरूहे तन्ज़ीही :

ये सुन्नते गैरे मुअ़क्कदा के मुक़ाबिल है, इस का करना शरीअ़त में नापसंद है लेकिन गुनाह नहीं अगर्चे आ़दतन हो।


खिलाफे अवला :

 ये मुस्तहब के मुक़ाबिल है यानी इस का ना करना बेहतर था लेकिन किया तो कुछ नहीं।

Tags

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)
To Top