रोज़ए पुर नूर पर हमको बुलाएं या रसूल
फिर वहां से उम्र भर वापस न आएं या रसूल
मन्ज़रे तय्यबा बना देता है दिल को बे करार
याद आती हैं मदीने की फ़ज़ाएं या रसूल
गुलिस्ताने ज़िन्दगी नज़रे ख़िज़ां होने लगा
भेज दो बागे मदीना की हवाएं या रसूल
गुम्बदे खज़रा को देखें दश्त व सेहरा में फिरें
तेरी आगोशे करम में मुस्कुराएं या रसूल
आपके दरबारे अक़दस में हज़ारों की तरह
हम भी आकर दास्ताने ग़म सुनाएं या रसूल
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Naat e paak