यूंही क़्यामत तक अहले सुन्नत का आना जाना लगा रहेगा।
है महवे आराम आला हज़रत बरेली मरकज़ बना रहेगा।
कोई जले और कोई तड़पे ग़रज़ नहीं हमको हासिदों से
हमारे क़ल्बो जिगर में ज़िंदा हमेशा अख़्तर रज़ा रहेगा।
हयाते ताजुश्शरिआ में ही येह फैसला हो चुका है लोगों
हमारा क़ाइद बनेगा असजद हमारा रहबर ज़िया रहेगा।
खिज़ां की ज़द में ना आएगा येह चमन कभी सुन लो बागियों तुम
इमामे इश्क़ो वफ़ा का गुलशन सदा यूँ ही फूलता रहेगा।
रज़ा के गुलज़ार से अदावत जो रख रहे हैं येह उनकी क़िस्मत
रज़ा के मसलक की नशर में येह डटा हआ है डटा रहेगा।