जोबनों पर है बहारे चमन आराइये दोस्त | Zobano Par Hai Bahre Chaman Aarayiye Dost | Kalam E Aala Hazrat|



जोबनों पर है बहारे चमन आराइये दोस्त | Zobano Par Hai Bahre Chaman Aarayiye Dost | Kalam E Aala Hazrat|
Kalam E Aala Hazrat 

 

जोबनों पर है बहारे चमन आराइये दोस्त

खुल्द का नाम न ले बुलबुले शैदाइये दोस्त


मेहर किस मुंह से जिलौ दारिये जानां करता

साए के नाम से बेज़ार है यक्ताइये दोस्त

Thak ke baithe to dare Dil pe tamnnaye dost

कौन से घर का उजाला नहीं जैबाइये दोस्त


मरने वालों को यहां मिलती है उम्रे जावेद

जिन्दा छोड़ेगी किसी को न मसीहाइये दोस्त


उन को यक्ता किया और खल्क बनाई या'नी

अन्जुमन कर के तमाशा करें तन्हाइये दोस्त


का'बा व अर्श में कोहराम है नाकामी का

आह किस बज्म में है जल्वए यक्ताइये दोस्त


शौक रोके न रुके पाउं उठाए न उठे

कैसी मुश्किल में हैं अल्लाह तमन्नाइये दोस्त


शर्म से झुक्ती है मेहराब कि साजिद हैं हुजूर

सज्दा करवाती है काबे से जबीं साइये दोस्त


Husne Be Parda Ke Parde Ne Mita Rakkha Hai

डूडने जाएं कहां जल्वए हरजाइये दोस्त


ताज वालों का यहां खाक पे माथा देखा

सारे दाराओं की दारा हुई दाराइये दोस्त


तूर पर कोई, कोई चर्ख पे येह अर्श से पार

सारे बालाओं पे बाला रही बालाइये दोस्त


Ranz aada Ka Raza Chara Hi Kya hai jab unhe

आप गुस्ताख रखे हिल्मो शिकैबाइये दोस्त




शायर: आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान



MUHAMMAD SAQIB

My Name Is Muhammad Saqib Raza Qadri Qureshi ( SAQIB QADRI ASJADI ) From PILIBHIT Nearest Bareilly Uttar Pradesh India 262001 | I am currently pursuing Bachelor of Arts

Post a Comment

Previous Post Next Post