Kalam E Aala Hazrat |
जोबनों पर है बहारे चमन आराइये दोस्त
खुल्द का नाम न ले बुलबुले शैदाइये दोस्त
मेहर किस मुंह से जिलौ दारिये जानां करता
साए के नाम से बेज़ार है यक्ताइये दोस्त
Thak ke baithe to dare Dil pe tamnnaye dost
कौन से घर का उजाला नहीं जैबाइये दोस्त
मरने वालों को यहां मिलती है उम्रे जावेद
जिन्दा छोड़ेगी किसी को न मसीहाइये दोस्त
उन को यक्ता किया और खल्क बनाई या'नी
अन्जुमन कर के तमाशा करें तन्हाइये दोस्त
का'बा व अर्श में कोहराम है नाकामी का
आह किस बज्म में है जल्वए यक्ताइये दोस्त
शौक रोके न रुके पाउं उठाए न उठे
कैसी मुश्किल में हैं अल्लाह तमन्नाइये दोस्त
शर्म से झुक्ती है मेहराब कि साजिद हैं हुजूर
सज्दा करवाती है काबे से जबीं साइये दोस्त
Husne Be Parda Ke Parde Ne Mita Rakkha Hai
डूडने जाएं कहां जल्वए हरजाइये दोस्त
ताज वालों का यहां खाक पे माथा देखा
सारे दाराओं की दारा हुई दाराइये दोस्त
तूर पर कोई, कोई चर्ख पे येह अर्श से पार
सारे बालाओं पे बाला रही बालाइये दोस्त
Ranz aada Ka Raza Chara Hi Kya hai jab unhe
आप गुस्ताख रखे हिल्मो शिकैबाइये दोस्त
शायर: आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान