12 साल बाद डूबी बारात को ज़िन्दा निकालना →
नकल है कि सय्यिदिना गौसे आज़म रहमतुल्ला अलैहि एक बार दरिया के पास से गुज़र रहे थे
कि उस दौरान चन्द औरतें पानी भरने के लिए आईं और वापस जाने लगीं, लेकिन एक बुढ़िया ने अपना बरतन भरकर ज़मीन पर रख दिया
और दरिया के किनारे खड़े होकर रोने लगी। आप ने उसकी हालत देखी और उसका हाल मालूम किया। उसने बताया कि उसका एक बेटा था
जिसकी शादी करके बारात के साथ वापस आ रही थी कि दरिया में भंवर आ गया और किश्ती तमाम बारातियों समीत डूब गई।
सिवाए उस बुढ़िया के और कोई ज़िंदा न निकला। इस वाकिए को 12 बरस हो गये थे। सय्यिदिना गौसे आज़म रहमतुल्लाहि अलैहि ने फरमाया तेरा लड़का अपनी दुल्हन और बरातियों के साथ ज़िन्दा होकर आ जाएगा।
कश्ती का नमूदार होना
आपके यह फरमाते ही अचानक दरिया मे तुग़यानी पैदा हुई और उस जगह से किश्ती नमूदार हुई जिस जगह डूबी थी
और उस बुढ़िया का बेटा अपनी बीवी और बरातियों के उसी शान व शौकत के साथ सही सालिम बाहर निकल आया। यह करामत देखकर सब हैरान रह गये।
बाद में दूल्हा आपका मुरीद हो गया और ख़िलाफत भी हासिल की। उनका मज़ार गुजरात में है और शाह दूल्हा दरियाई के नाम से मशहूर है।
📚 REFRENCE: karmat e Gause Azam book
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