नूर ए अहमद की जिया है मसलक ए अहमद रज़ा -Noor-E-Ahmed Ki Ziyaa Hai, Maslak-E-Ahmed Raza

 

नूर ए अहमद की जिया है मसलक ए अहमद रज़ा -Noor-E-Ahmed Ki Ziyaa Hai, Maslak-E-Ahmed Raza

नूर ए अहमद की ज़िया है मसलक ए अहमद रज़ा 

शम ए दीन ए मुस्तफा है मसलक ए अहमद रज़ा 


लोग कहते हैं के क्या है मसलक ए अहमद रज़ा

मसलक ए अहमद रज़ा है मसलक ए अहमद रज़ा


मज़हब ए हनफी हो या हो मशरब ए गौस ओ अली

हम तलक पहुंचा रहा है मसलक ए अहमद रज़ा


रब को मानो और हबीब ए रब से तुम उल्फत करो

हां यही तो कह रहा है मसलक ए अहमद रज़ा


ये सिखाता है शरीयत और तरीकत के उसूल

दीन ओ ईमान की जिला है मसलक ए अहमद रज़ा


फी ज़माना सुन्नियत की बस यही पहचान है

सिक्का रायेजुल वक्त का है मसलक ए अहमद रज़ा


पूरी सुन्नी दुनिया में सच्चे अकीदे के लिए

इब्तिदा और इंतिहा है मसलक ए अहमद रज़ा


आला हज़रत का ये अहसां हम मुसलमानो पे है

इश्क ए अहमद दे रहा है मसलक ए अहमद रज़ा


नाम के सय्यद जो जलते हैं आला हज़रत के नाम से 

उनके दिल में चुभ रहा है मसलक ए अहमद रज़ा


सामना होता है जब भी दुश्मनाने दीन से

ढाल बनकर आ गया है मसलक ए अहमद रज़ा


मुर्शिद ए मरहेरा ने निस्बत रज़ा को ऐसी दी 

शरह ए दीन ए हक बना है मसलक ए अहमद रज़ा


नज़मी तुम को क्यों न बरकाती रज़ा पर नाज़ हो

तुम ने घुट्टी में पिया है मसलक ए अहमद रज़ा


शायर : सय्यद नज़मी मियां बरकाती رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہُ मारहेरा शरीफ




MUHAMMAD SAQIB

My Name Is Muhammad Saqib Raza Qadri Qureshi ( SAQIB QADRI ASJADI ) From PILIBHIT Nearest Bareilly Uttar Pradesh India 262001 | I am currently pursuing Bachelor of Arts

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