आंधियों में भी जला है मसलक ए अहमद रज़ा
वो चाराग ए मुस्तफा है मसलक ए अहमद रज़ा
शम ए दीने मुस्तफा है मसलक ए अहमद रज़ा
यानी अहमद की रज़ा है मसलक ए अहमद रज़ा
किस में है मेहबूबियत और किस में है मरदूदियत
दूर से पहचानता है मसलक ए अहमद रज़ा
आशिकाने मुस्तफा की उंगलियां पकड़े हुवे
सूवे जन्नत ले चला है मसलक ए अहमद रज़ा
मसलक ए अहमद रज़ा कोई नया मसलक नहीं
खुल्द वाला रास्ता है मसलक ए अहमद रज़ा
मसलक ए अहमद रज़ा पर हर्फ आ सकता नहीं
बू हनीफा की अता है मसलक ए अहमद रज़ा
हज़रत ए नूरी मियां का कौल ए फैसल देखिए
मेरे घर का एक दिया है मसलक ए अहमद रज़ा
आप बरकाती घराने में तो चल कर देखिए
बच्चा बच्चा बोलता है मसलक ए अहमद रज़ा
वो दर ए गौसुल वरा से ख्वाजा ए अजमेर से
ला के सब को जोड़ता है मसलक ए अहमद रज़ा
क्या मिटा पाएगा कोई अहमद रज़ा के नाम को
गौस ओ ख्वाजा की रज़ा है मसलक ए अहमद रज़ा
नजदिओं इश्क ए शहंशाह ए मदीना के सिवा
तुम से क्या कुछ मांगता है मसलक ए अहमद रज़ा
नगमा ए इश्क ए रिसालत के वसीले से असद
रूह को तड़पा रहा है मसलक ए अहमद रज़ा
शायर: असद इक़बाल