ऐ हिंद के महाराजा इतना तो करम करना
जब दर पे तेरे आऊं तो मेरा भरम रखना
तू हिंद का राजा है तू सिर्र ए नबूवत है
आबाद तुझी से ये गुलज़ार ए विलायत है
सदका मुझे जहरा का सरकार अता करना
जब दर पे तेरे आऊं तो मेरा भरम रखना
बंदा है बालाओं में है कौन मेरा वाली
हसनैन के ए दिलवर छाई है घटा काली
दुनिया को मेरी रौशन ए नूरे खुदा करना
जब दर पे तेरे आऊं तो मेरा भरम रखना
तू हिंद का महाराजा हैदर का दुलारा है
हम दर्द के मारो का बस तू ही सहारा है
जब तुझको सदा दूं मैं इमदाद मेरी करना
जब दर पे तेरे आऊं तो मेरा भरम रखना
सोंचा है ज़माने ने रौजे को गिरा देंगे
रौजे की जगह आकर मंदिर को बनादेंगे
नालैन को फिर अपनी तू इज्न अता करना
जब दर पे तेरे आऊं तो मेरा भरम रखना
उस्मान का दिलदारा है और आंखों का सितारा है
हर एक मुसीबत में मैंने तुझको पुकारा है
आदत है मेरी हर दम या ख्वाजा करना
जब दर पे तेरे आऊं तो मेरा भरम रखना
मोहताज हूं मैं तेरा मैं वास्ती खस्ता हूं
कब आओगे घर मेरे तेरी राह को मैं तकता हूं
आबाद मेरी दुनिया ए ख्वाजा पिया करना
जब दर पे तेरे आऊं तो मेरा भरम रखना
शायर : मुहम्मद समीर रज़ा वास्ती ( बहराइच शरीफ )