वाकिया ए मेराज शरीफ
एक अज़ीम मोजिज़ा जो नबी ﷺ की ज़िंदगी में अल्लाह की कुरबत और नबी ﷺ की शान को बयान करता है ,_
ये वाकिया इस्लाम की तारीक का। एक अहम वाकिया है और इसमें बहुत सी हिक्मत और सबक मौजूद है
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वाकिया की तफ्सील
रात का वक्त हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम नबी ﷺ के पास आए और आप ﷺ को मस्जिद ए हराम से मस्जिद ए अल *Aqsa तक ले गए ये सफर एक खास सवारी बुराक़ पर मुकम्मल हुआ मस्जिद ए अल *Aqsa हुज़ूर ﷺ ने तमाम अम्बिया के साथ नमाज़अदा की और आप ﷺ ने इमामत फरमाई
मेराज में कोन कोन से नबी से मुलाकात हुई?
मस्जिद ए अल *Aqsa के बाद हुज़ूर ﷺ को अर्श ए मोअल्ला तक ले जाया गया सफर सफ़र के दौरान प्यारे आका ﷺ ने मुख्तलिफ अम्बिय से मुलाकात की
(No.1)पहले आसमान पर हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से मुलाकात हुई
(2)दूसरे आसमान पर हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम से मुलाकात हुई*
(3) तीसरे आसमान पर हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम से मुलाकात हुई
(4) चौथे आसमान पर हज़रत इदरीस अलैहिस्सलाम से मुलाकात हुई*
(5) पांचवे आसमन पर हज़रत हारून अलैहिस्सलाम से मुलाकात हुई*
(6) छट्टे आसमान पर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से मुलाकात हुई*
(7) सातवे आसमान पर हज़रत इब्रहीम अलैहिस्सलाम से मुलाकात हुई*
सिदरातुल मुंतहा और अर्श ए मोअल्ला
हुज़ूर ﷺ सिदरातुल मुंतहा तक पहुंच गए जहां हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम रुक गए फिर_ _हुज़ूर ﷺ को अल्लाह के हुज़ूर अर्श ए मोअल्ला तक ले जाया गया , वहां अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने अपने महबूब ﷺ को नमाज़ का तोहफा दिया
नमाज़ का तोहफ़ा
पहले 50 नमाज़ों का तोहफा दिया , हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम 50 वक्त की नमाज़ों का तोहफा लेकर वापस आ रहे थे रास्ते में हज़रते मूसा_ _अलैहिस्सलाम मिले आपने अर्ज़ की हुज़ूर ﷺ आपकी उम्मत इतनी नही पढ़ सकती,, हुज़ूर 9_ _दफा गए 9 दफा आए हर बार में। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने यही कहा हुज़ूर आपकी उम्मत नही पढ़_ _सकती 5 वक्त की नमाज़ के बाद हुज़ूर ﷺ ने ये नही कहा मैं अब नही जाऊंगा ,,,रब माफ नही करेगा नही हुज़ूर ﷺ ने फरमाया मेरी गैरत अब गवारा नहीं_ _करती ,, पता लगा जहां जहां हुज़ूर पुरनूर सरकारे दो आलम ﷺ की गैरत जवाब दे दे वही नमाज़ की तादाद रुक जाती_ है और इस 5 वक्त की नमाज़ को उम्मत पाबंदी से पढ़े तो उसको 50 वक्त की नमाज़ का सवाब मिलेगा,,,_
हिक्मत ए अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त
हज़रत मूसा को ही क्यू बुलाया हज़रत ईसा तो चौथे आसमान पर थे ही ज़िंदा,,अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने हज़रत मूसा_ _अलैहिस्सलाम को बैतुल मुकद्दस फिलिस्तीन से क्यू बुलाया क्यू की अल्लाह बताना चाहता है के अल्लाह के नबी ज़िंदा हो तब भी_ _मदद कर सकते है अल्लाह के नबी अपनी कब्रो में चले जाए तब भी मदद कर सकते है ,, वरना हज़रत ईसा_ _अलैहिस्सलाम तो चौथे आसमान पर थे ही मौजूद,, अगर अल्लाह हज़रत ईसा को बुला लेता तो सारे गैर मुकल्लिद कहते देखा अल्लाह के नबी_ _ज़िंदा आसमान पर उठा लिए जाए तब ही मदद कर सकते है अल्लाह ने सारे सड़े हुए अकीदे वालों का मुंह बंद कर दिया ,,,,🥰_
जन्नत और जहान्नुम का मुशाहिदा
हुज़ूर ﷺ ने जन्नत और जहान्नुम का मुशाहिदा किया और लोगो के अमल के मुताबिक़ उनका अंजाम देखा,_
(1) नमाज़ का फ़र्ज़ होना नमाज़ को इस्लामी जिंदगी का मरकज़ी अमल बनाया गया ,*
(2) अंबिया की शान और और उनकी की तस्दीक हुई*
(3) ये वाकिया अल्लाह की कुदरत और उसके प्यारे रसूल ﷺ की की शान ओ शौकत ओ अज़मत का इज़हार है*
हुज़ूर ने पांच किस्म की सवारी पर सफर फ़रमाया
(1) मक्का से बैतूल मकदिस तक बुराक पर
(2) बैतूल मकदिस से आसमान अव्वल तक नूर की सीढ़ियों पर_
(3) आसमाने अव्वल से सातवे आसमान तक फरिश्तों के बाजुओं पर_
(4)सातवे आसमान से सिदरातुल मुंतहा तक जिब्राइल अलैहिस्सलाम के बाजू पर_
(5) सिदरातुल मुंतहा से मकामे काबा कॉसेन तक रफरफ (यानी कुदरती तख्त पर)_
ये वाकिया कुरआन शरीफ की सूरह अल इसरा और सुरह अन नजिम,,,और अहादीस मुबारक से साबित है ,,ये वाकिया हर* *मुसलमान के लिए हिदायत और ईमान को मजबूत करने का ज़रिया है ,,,,*
LASHKAR E RAZA